अंशों का अति अभिदान किसे कहते हैं ?
Over Subscription of Shares in Hindi
अंशों के अति अभिदान का अर्थ :- Meaning of Over Subscription of Shares in Hindi
कंपनी के द्वारा जारी किए गए प्रविवरण के आधार पर जब कंपनी को जनता के द्वारा प्रस्तावित अंशों से अधिक अंशों के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं, तो इसे अंशों का अति अभिदान कहते हैं । कंपनियों के आवेदनों पर अति अभिदान का तात्पर्य यह है, कि कंपनी का प्रबंधन कुशल एवं वित्तीय स्थिति सुदृढ़ है ।
Example :-
यदि कोई कंपनी जनता को ₹ 100 प्रत्येक वाले 100000 अंशों का निर्गमन करती है और 120000 अंशों के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं । इसे ही अंशों का अति अभिदान कहते हैं ।
अति अभिदान की राशि का उपयोग (Utilisation of amount of Over - Subscription) :-
निदेशक मंडल जनता को प्रस्तावित अंशों से अधिक के अंशों का आबंटन नहीं कर सकता । दूसरे शब्दों में, पार्थित पूंजी (Subscribed Capital) निर्गमित पूंजी (Issued Capital) के बराबर हो सकती है, लेकिन निर्गमित पूंजी (Issued Capital) से अधिक नहीं हो सकती । जब कभी अंशों के अभिदान की स्थिति आती है, तो निदेशक मंडल के पास निम्न उपाय होते हैं ....
1. पूर्ण आबंटन और आधिक्य आवेदनों की पूर्णतः अस्वीकृति (Full Allotment and Totally Rejection of Excess Application) :-
इस स्थिति में जब निदेशक मंडल के द्वारा के द्वारा कुछ आवेदनों को पूर्णतया स्वीकृत करने और शेष आधिक्य आवेदनों को पूर्णतया अस्वीकृत करने का निर्णय लिया जाता है, तो अस्वीकृत आवेदनों पर प्राप्त आवेदन की राशि पूर्ण रूप से प्रविवरण निर्गमन की तारीख से 130 दिन के अंदर वापस कर दी जाती है ।
2. सभी आवेदनों का समानुपातिक आबंटन (Proportionate Allotment to all Applicants : Pro rata Allotment) :-
जब निदेशक मंडल के द्वारा सभी आवेदनों को समानुपातिक आबंटन करने के विकल्प का चयन किया जाता है, तो इसे अंशों का आनुपातिक आबंटन कहते हैं । ऐसी स्थिति में सामान्यता आवेदनों पर प्राप्त आधिक्य राशि का समायोजन आबंटन पर देय राशि के साथ कर लिया जाता है । यदि आवेदनों पर प्राप्त आधिक्य राशि अंशों के आबंटन पर देय राशि से अधिक होती है, तो उस समय या तो इस राशि को वापस कर दिया जाता है या Callls in Advance Account में क्रेडिट कर दिया जाता है ।
3. उपर्युक्त दोनों विकल्पों का संयोजन (Combination of the Above two Alternatives) :-
निदेशकों के द्वारा उपर्युक्त दोनों विकल्पों को संयुक्त रूप से इस्तेमाल में लाया जा सकता है । व्यवहार में यह सबसे व्यवहारिक और सर्वमान्य विकल्प है । इस विकल्प के अंतर्गत कुछ अंशों के आवेदकों को बिलकुल अस्वीकृत कर दिया जाता है और शेष आवेदकों को अंशों का आनुपातिक आबंटन किया जाता है । बिल्कुल अस्वीकृत किए गए आवेदनों की आवेदन राशि वापस कर दी जाती है और अंशों के आनुपातिक आबंटन की स्थिति में आवेदनों पर प्राप्त आधिक्य राशि का उपयोग आबंटित अंशों के आबंटन पर शेष राशि के साथ किया जाता है ।
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